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टाटा मैजिक आंध्र प्रदेश में बेची जा रही है

राजीव बैनर्जी, ईटी ब्यूरो, २७ अगस्त २००८, सुबह०३.३३ बजे

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जहां विशाल और नया राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना है ऐसे शम्शाबाद से लेकर हैदराबाद की दूरी २० किमी है. एयरपोर्ट के ठीक बाहर की सडक बिलकुल स्मूद है, लेकिन आगे चलकर इसकी गुणवत्ता घटती जाती है. यहां हर जगह अंधाधुंध निर्माण चल रहा है. और गड्ढे तथा ट्रैफिक तो हैं ही, एक तरह से छोटी उछाल भरी सवारी मुझे उस लंबे सफर के लिए मानसिक रूप से तैयार कर देती है जो मुझे ग्रामीण आंध्र प्रदेश में टाटा मोटर्स के राहुल श्यामसुख, और इनसाइट के ग्रामीण मार्केटिंग के खुर्रम असकारी और ए खदीर के साथ करनी है.

हैदराबाद से करीब १५० किमी दूर तेलंगाना जिले में वारंगल की सडक पर आते ही असली यात्रा शुरू हुई. श्यामसुख (मैनेजर-एससीवी पैसेंजर, टाटा मोटर्स), असकारी (सीईओ इनसाइट) और खदीर (मैनेजर- स्ट्रैटेजी एंड एक्टिवेशन, इनसाइट) के सामने टाटा मोटर्स की टाटा एस के पैसेंजर वर्जन को तीन पहिया वाहनों से भरे बाजार में पेश करने की चुनौती थी.

मैजिक पिछले साल अगस्त में लॉन्च की गई और आंध्र भारत का विशालतम थ्री व्हीलर बाजार होने के कारण यह लक्ष्य में रखना स्पष्ट बात थी. राज्य में महिंद्रा, अल्फा, पियाज्यो आपे और बजाज जैसे खिलाडियों की २५% सेल्स हिस्सेदारी है, कहना श्यामसुख का. ``तीन पहिया उद्योग ने पिछले साल ५०,००० से ज्यादा वाहन बेचे, और लॉन्च के बाद से हमने करीब २,६०० मैजिक आंध्र में बेची है, जिसका ९०% बाजार ग्रामीण रहा है,'' ऐसा वे कहते हैं. मुझे जो ग्रामीण परिवेश देखना था उसमें प्राचीन कथा बताने की शैली बुर्रा कथा का उपयोग होना था- जहां रजीकांत का डुप्लिकेट मुख्य विचारशील लोगों को प्रभावित करनेवाला था और लीड्स तथा फॉलो अप्स होने थे.

सडकें मुझसे ये भी कह रही थीं कि यहां पर तीन पहिया वाहनों के लिए लोगों की मांग क्यों ज्यादा है. नगरों और गांवों को जोडने के लिए राज्य परिवहन निगम की बसें ही मुख्य आधार हैं, लेकिन इसकी सेवा नाकाफी है. तीन पहिया वाहन ही लोगों को रू.२ जितने कम किराए में सफर कराते हैं- तेज दौडती आपे या अल्फा या बजाज में अपनी जान जोखिम में डालकर लटकते हुए लोगों को देखना यहां एक आम बात है. ड्रायवर इनमें एक बार में आठ से १० लोगों को भरता है, और असकारी मुझे स्थानीय `आविष्कारों' के बारे में बताते हैं जो हर ट्रिप का अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए आजमाया जाता है.

टाटा मोटर्स अपनी मैजिक के लिए बाजार में बीजारोपण कर रही है ताकि जब पैसे आएं तब मैजिक लोगों की पहली पसंद बने. पार्कल पहुंचने पर हमें बताया गया कि बुर्रा कथा वाली मंडली आगे मुगुलपल्ली पहुंच गई है. इस गांव की आबादी १,८०० है. हम भी मोगुलपल्ली पहुंच गए. वहां टाटा एस पर सुंदर बैकग्राउंड लगा था. एस के पास ही मैजिक का डेमो वाहन था. ग्राउंड स्टाफ पैंपलेट्स भीड में बांट रहा था, जो तेजी से जुट रही थी.

अचानक ही तेज आवाज माइक से आती है.

`मावैकामा वैकाजार अमानचिम अथाचेपैपया, टाटा मैजिक बंदिकोंडांपडिवैया,' गायक तेलुगु में गाते हुए डफली बजा रहा है. चमकदार शर्ट और गर्दन पर स्कार्फ बांधे तैयार खडा एक आदमी जो रजनीकांत जैसे दिख रहा है और वही एक और धोती कुर्ता पहने आदमी है, खदीर मुझे बताते हैं कि ये तेलुगू अभिनेता राव गोपाल राव जैसा लग रहा है.

रजनीकांत जैसा दिखनेवाली आदमी `बाशल बाशल' चिल्लातेहुए फ्लोट पर कूद जाता है और यह नाम लोगों को चुंबक की तरह फ्लोट पर खींच ले जाता है. `रजनीकांत' धमाकेदार अंदाज में डायलॉग बोल रहा है और स्कार्फ तथा चश्मे सेकरतब दिखा रहा है.

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